कुलेश्वर मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में राजिम नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है। पुरातत्वीय धार्मिक एवं सांस्कृति महत्व का स्थल राजिम रायपुर से 48 कि॰मी॰ दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है जहां पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है। इसका प्राचीन नाम 'कमल क्षेत्र' एवं 'पद्मपुर' था। इसे 'छत्तीसगढ़ का प्रयाग' माना जाता है। राजिम कें राजीव लोचन देवालय में विष्णु भगवान की पूजा होती है। राजेश्वर, दानेश्वर एवं रामचन्द्र मंदिर इस समूह के अन्य महत्वपूर्ण मंदिर है। कुलेश्वर शिव मंदिर संगम स्थली पर ऊंची जगती पर निर्मित है। नवीं शती ई. में निर्मित यह मंदिर पूर्वाभिमुखी है। इस मंदिर में गर्भगृह, अन्तराल एवं मण्डप है। मण्डप की भित्ति में आठ पंक्तियों का क्षरित-अस्पष्ट प्रस्तर अभिलेख जड़ा हुआ है। यहां क्षेत्रीय कला एवं स्थापत्य से संबंधी दुर्लभ कलात्मक प्रतिमाएं मण्डप में दर्शनीय हैं।यह काफी प्राचीन मंदिरों में इसकी गिनती किया जाता है मान्यता है कि यहाँ का शिवलिंग कि स्थापना माता सीता ने अपने हाथो से किया था और राम लक्ष्मण सीता तीनो मिलकर देवो के देव कि यही पर विधि विधान से पूजा अर्चना किया था जिस कारण यह स्थान परम तीर्थ के रूप में पूजा गया यहाँ पर भारी मात्रा में शिव जी के भक्त बाबा के दरबार में आते है यहाँ पर सबसे ज्यादा भीड़ महाशिवरात्रि को देखा जाता है कहते है इस दिन बाबा सहज जल अर्पण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते है और मन चाही वरदान दे देते है जिसके कारण यहाँ लाखो कि संख्या में भीड़ उमड़ती है बाबा के जयकारे से पूरा नदी तट कम्पाय मान हो जाता है जो देखने लायक होता है यहाँ पर सावन सोमवारी में बाबा कि जल अर्पण करने के लिए दूर दूर से भक्त आते है इस त्रिवेणी संगम में बरसात के दिनों में कितना भी जल प्रवाह होते रहे मगर भक्त जन बाबा कि पूजा अर्चना करना बंद नही करते और कुछ तो नौका से बाबा कि पूजा अर्चना करने जाते है इससे पता लगता है कि बाबा के उपर लोंगो कि अटूट श्रधा देखी जा सकती है छत्तीसगढ़ को भगवान राम के वनवास काल के पथगमन मार्ग के रूप में चिह्नित किया गया है और इस तथ्य को प्रमाणित करते हुए कई अवशेष यहां मौजूद हैं। इन्हीं में से एक प्रतीक है राजिम का कुलेश्वर महादेव मंदिर। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जिस जगह मंदिर स्थित है, वहां कभी वनवास काल के दौरान मां सीता ने देवों के देव महादेव के प्रतीक रेत का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी। आज जो मंदिर यहां मौजूद है उसका निर्मांण आठवीं शताब्दी में हुआ था #कुलेश्वरमंदिरराजिमरायपुर #KuleshwarMahadevRajimgariyabandh #Kuleshwarmahadevrajim #kuleshwartemplerajim #panchkoshitemple #panchkoshidham #Panch koshi Mandir #Rajimlochan #Rajim #gariyabandh #trivenisangam #cgrider #chhattisgarhrider #rajim pryag ganj #chhattisgarhpryag #mahanadiaarti #rajimlochanmandir #kuleshwar Nath #kuleshwarnathtemple #kuleshwarmahadev #rajimkuleshwarnath #kuleshwarnathtem #kuleshwarnathtemple #harshverma #chuwaranverma #कुलेश्वरमंदिर #राजिम #कुलेश्वरमहादेवमंदिरराजिम #त्रिवेणीसंगम #dronevideorajim #rajimmaghimela #rajimmela #rajimpanchkoshidham #panchkoshidham
कुलेश्वर मंदिर छत्तीसगढ़ राज्य के गरियाबंद जिले में राजिम नगर में स्थित है। यह स्मारक छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा संरक्षित है। पुरातत्वीय धार्मिक एवं सांस्कृति महत्व का स्थल राजिम रायपुर से 48 कि॰मी॰ दक्षिण में महानदी के दक्षिण तट पर स्थित है जहां पैरी एवं सोंढूर नदी का महानदी से संगम होता है। इसका प्राचीन नाम 'कमल क्षेत्र' एवं 'पद्मपुर' था। इसे 'छत्तीसगढ़ का प्रयाग' माना जाता है। राजिम कें राजीव लोचन देवालय में विष्णु भगवान की पूजा होती है। राजेश्वर, दानेश्वर एवं रामचन्द्र मंदिर इस समूह के अन्य महत्वपूर्ण मंदिर है। कुलेश्वर शिव मंदिर संगम स्थली पर ऊंची जगती पर निर्मित है। नवीं शती ई. में निर्मित यह मंदिर पूर्वाभिमुखी है। इस मंदिर में गर्भगृह, अन्तराल एवं मण्डप है। मण्डप की भित्ति में आठ पंक्तियों का क्षरित-अस्पष्ट प्रस्तर अभिलेख जड़ा हुआ है। यहां क्षेत्रीय कला एवं स्थापत्य से संबंधी दुर्लभ कलात्मक प्रतिमाएं मण्डप में दर्शनीय हैं।यह काफी प्राचीन मंदिरों में इसकी गिनती किया जाता है मान्यता है कि यहाँ का शिवलिंग कि स्थापना माता सीता ने अपने हाथो से किया था और राम लक्ष्मण सीता तीनो मिलकर देवो के देव कि यही पर विधि विधान से पूजा अर्चना किया था जिस कारण यह स्थान परम तीर्थ के रूप में पूजा गया यहाँ पर भारी मात्रा में शिव जी के भक्त बाबा के दरबार में आते है
यहाँ पर सबसे ज्यादा भीड़ महाशिवरात्रि को देखा जाता है कहते है इस दिन बाबा सहज जल अर्पण मात्र से ही प्रसन्न हो जाते है और मन चाही वरदान दे देते है जिसके कारण यहाँ लाखो कि संख्या में भीड़ उमड़ती है बाबा के जयकारे से पूरा नदी तट कम्पाय मान हो जाता है जो देखने लायक होता है यहाँ पर सावन सोमवारी में बाबा कि जल अर्पण करने के लिए दूर दूर से भक्त आते है
इस त्रिवेणी संगम में बरसात के दिनों में कितना भी जल प्रवाह होते रहे मगर भक्त जन बाबा कि पूजा अर्चना करना बंद नही करते और कुछ तो नौका से बाबा कि पूजा अर्चना करने जाते है इससे पता लगता है कि बाबा के उपर लोंगो कि अटूट श्रधा देखी जा सकती है
छत्तीसगढ़ को भगवान राम के वनवास काल के पथगमन मार्ग के रूप में चिह्नित किया गया है और इस तथ्य को प्रमाणित करते हुए कई अवशेष यहां मौजूद हैं। इन्हीं में से एक प्रतीक है राजिम का कुलेश्वर महादेव मंदिर। महानदी, पैरी और सोंढूर नदियों के त्रिवेणी संगम पर स्थित इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जिस जगह मंदिर स्थित है, वहां कभी वनवास काल के दौरान मां सीता ने देवों के देव महादेव के प्रतीक रेत का शिवलिंग बनाकर उसकी पूजा की थी। आज जो मंदिर यहां मौजूद है उसका निर्मांण आठवीं शताब्दी में हुआ था
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