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Showing posts from September, 2020

देखिये अमरकंटक का पुरे जगह का वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल छत्तीसगढ़ राइडर में हर रोज एक वीडियो

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  देखिये अमरकंटक का पुरे जगह का वीडियो हमारे यूट्यूब चैनल छत्तीसगढ़ राइडर में  हर रोज एक वीडियो  चैनल का लिंक निचे दिया है  https://www.youtube.com/channel/UCuRkQ6iuZucAHFsYWZcLYdQ #माँनर्मदामंदिरअमरकंटक  #नर्मदाकुंड#माँनर्मदामंदिर  #अमरकंटक  #amarkantak #amarkantaktourism #amarkantaknarmadatemple #narmadatemple #narmadamata #narmadaudgamsthal #ORIGINATEPOINTOFNARMADARIVER   #amarkantak #AMARKANTAK #amarkantakdarshan #amarkantakghumnekajagah #amarkantaguid #amarkantaktourismplace #amarkantaktour #amarkantakmadhyapradesh #amarkantakanupur #amarkantakghumnekasahisamay #narmadaudgamsthal #narmadariver #narmadariveramarkanatak  #माँनर्मदामंदिर #नर्मदामंदिर #amarkantaklmaanarmadatemple #amarkantakdarshan #amarkantakdetails #amarkantakguid #originofnarmadariver #origino narmadariveramarkantak #amarkantak #india #madhyapradesh #trip #travelgram #heartofindia #adventurethatislife #jabalpur #livetotravel #mpstdc #pachmarhi #shiva #pachmarhidiaries #pachmarhihotels #pachmarhitrip #kanha #mpholida

Kankeshwar Mahadev Kani Korba (Drone Video) कनकेश्‍वर महादेव मंदिर || भोले भंडारी का एक अनोखा धाम ||

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  कनकेश्‍वर महादेव मंदिर: भोले भंडारी का एक अनोखा धाम छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी के तट पर कनकी नाम का एक छोटा सा गांव है. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कनकी का कनकेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है. छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में हसदेव नदी के तट पर कनकी नाम का एक छोटा सा गांव है. जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूर कनकी का कनकेश्वर महादेव मंदिर धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से एक महत्वपूर्ण स्थान है. इसे चक्रेश्वर महादेव मंदिर भी कहा जाता है. कनकी रायपुर से 197 किलोमीटर की दूरी पर कोरबा जिले में स्थित है. यहां के आचार्य मनोज शर्मा कहते हैं, ‘मान्यता है कि एक गाय रोज जाकर इस शिवलिंग पर दूध चढ़ाती थी. एक दिन गाय को ग्वाले ने ऐसा करते देख लिया. गुस्से में उसने जहां दूध गिर रहा था वहां डंडे से प्रहार कर दिया. जैसे ही उसने डंडा मारा कुछ टूटने की आवाज आई और कनकी (चावल के टुकड़े) के दाने वहां बिखर गए. उस जगह की सफाई करने पर वहां एक टूटा हुआ शिवलिंग मिला. बाद में इसी स्थान पर मंदिर का निर्माण करवाया गया.’ उन्होंने बताया कि शिवलिंग के पास कनकी के दाने प

माँ सर्वमंगला देवी मंदिर संपूर्ण दर्शन |ड्रोन वीडियो| Maa Sarvamangala Mandir Korba By Harsh Verma

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 माँ सर्वमंगला देवी मंदिर  कोरबा जिले के प्रसिद्ध मंदिर में से एक है। इस मंदिर की देवी दुर्गा है। यह मंदिर कोरेश के जमींदार में से एक राजेश्वर दयाल के पूर्वजों द्वारा बनाया गया था। मंदिर त्रिलोकिननाथ मंदिर, काली मंदिर और ज्योति कलाश भवन से घिरा हुआ है। वहाँ भी एक गुफा है, जो नदी के नीचे जाता है और दूसरी तरफ निकलता है। रानी धनराज कुंवर देवी को मंदिर में अपनी दैनिक यात्रा के लिए इस गुफा के लिए इस्तेमाल किया गया था। सर्वमंगला मंदिर का इतिहास वैसे तो 122  साल पुराना है। जिसकी स्थापना सन् 1898 के आस पास मानी जाती है। लेकिन इससे भी सालों पुरानी यहां एक और चीज है। वो है सूर्य देव के मनमोहक प्रतिमा के समीप स्थित वट वृक्ष, मंदिर के पुजारी अनिल पाण्डेय की मानें तो यह वट वृक्ष लगभग 500 वर्ष पुराना है। जैसा कि उनके पूर्वजों ने उन्हें बताया है। इस वृक्ष की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे मानोकामना पूरा करने वाला वृक्ष माना जाता है। पूर्व में इस वृक्ष के नीचे हाथी भी आकर विश्राम किया करते थे। इसके बाद पिछले कुछ वर्षों तक विशाल वट वृक्ष के झूले जैसे तनों पर मयूर भी आकर विश्राम व क्रीडा करते थे। ऐसी मान्यत

माँ मड़वारानी मंदिर, कोरबा Maa Madwarani Mandir Korba Chhattisgarh By Harsh Verma Chhattisgarh Rider

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  माँ मड़वारानी मंदिर, कोरबा से 18 कि.मी. एवं चांपा से 16 कि.मी. की दूरी पर कोरबा-चांपा हाइवे पर स्थित है |माँ मड़वारानी मंदिर, छत्तीसगढ ऱाज्य के कोरबा जिले में स्थित प्रसिद्ध मंदिर है एवं यहाँ के मूल निवासियों के द्वारा माँ मड़वारानी की आराधना की जाती है और उनके श्रद्धा एवं आस्था का प्रतीक हैं और यह माना जाता है की माँ मड़वारानी स्वयं प्रकट होकर आस-पास के गावों की रक्षा करती हैं | माँ मड़वारानी मंदिर, मड़वारानी पहाड़ की चोटी पर कलमी पेड़ के नीचे स्थित है | माँ मड़वारानी मुख्य मंदिर, मड़वारानी पहाड़ के सबसे ऊँची चोटी पर गहरी खाई के समीप कलमी पेड़ के नीचे स्थित है | ऐसा कहा जाता है की एक कलमी वृक्ष के कट जाने के बाद माँ मड़वारानी अपने चार बहनों के साथ वहाँ आई और अपनी शक्ति को वहाँ रखे पाँच पत्थरों में समाहित कर दिया, जिन्हे आज पिंडी रूप में पूजा जाता है |  माँ मड़वारानी की कहानी माँ मड़वारानी की कहानी की ऐतिहासिक है और ऐसा बुजुर्गों द्वारा आँखों देखी मानी जाती है | ऐसा माना जाता है क़ि माँ मड़वारानी अपने शादी के मंडप (मड़वा) को छोड़ कर आ गयी थी | इसी दौरान बरपाली-मड़वारानी रोड में उनके